आईआईटी दिल्ली में बिजली क्षेत्र में काम करने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी. इसको लेकर आईआईटी दिल्ली, केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) और ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ है. यह सेंटर बिजली क्षेत्र विनियमन, नीतियों, बिजली बाजारों और ग्रिड संचालन के क्षेत्र में काम करेगा. इसके साथ ही केंद्र नॉलेज हब के रूप में भी कार्य करेगा, जहां से विनियामक आयोग, बिजली प्रणाली संचालक, उपयोगिताएं और अन्य संगठन विशिष्ट नौकरी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेषज्ञता प्राप्त कर सकेंगे. समझौता ज्ञापन पर आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी, सीईआरसी के सचिव हरप्रीत सिंह और ग्रिड-इंडिया के निदेशक (मानव संसाधन) परेश आर. रानपारा ने हस्ताक्षर किए. केंद्र का उद्देश्य सहयोगात्मक अनुसंधान और विश्लेषण के माध्यम से प्रभावी विनियमन के निर्माण में ज्ञान का सृजन करना और सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देना है.

वर्तमान ऊर्जा संक्रमण काल की चुनौतियों को लेकर पहल : केंद्र भारत में वर्तमान ऊर्जा संक्रमण काल में अंतराल और चुनौतियों की पहचान कर अकादमिक, तकनीकी और नीति अनुसंधान करेगा. इसमें विनियमन, बाजार और ग्रिड संचालन शामिल हैं. नियामकों, सिस्टम ऑपरेटरों और अन्य हितधारकों के विशेषज्ञ कार्यबल और मौजूदा जनशक्ति का एक पूल बनाने के लिए प्रशिक्षण, कौशल विकास और क्षमता विकास की दिशा में काम करेगा. इसमें मात्रात्मक तकनीकों, टैरिफ मॉडल, बिजली बाजारों आदि में अल्पकालिक प्रशिक्षण भी शामिल होगा.

सीओई अकादमिक कार्यक्रम बनाने के लिए करेगा काम : सीओई अकादमिक कार्यक्रम बनाने के लिए एक माध्यम के रूप में भी काम करेगा, जिसके परिणामस्वरूप बिजली क्षेत्र के लिए अच्छे कानून निर्माण और बेहतर नियामक तकनीकें सामने आएंगी. एमओयू के बारे में बोलते हुए आईआईटी दिल्ली के निदेशक, प्रो. रंगन बनर्जी ने कहा कि हम बिजली क्षेत्र विनियमन में नए उत्कृष्टता केंद्र को लेकर उत्साहित हैं. हम अपने बिजली क्षेत्र को बदलने के लिए अनुसंधान और नीति इनपुट प्रदान करने के लिए ग्रिड-इंडिया और सीईआरसी के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं.

मानव संसाधनों की विशेषज्ञता बढ़ाने में निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका :सीईआरसी के अध्यक्ष जिष्णु बरुआ ने कहा कि केंद्र से इस क्षेत्र के लिए मानव संसाधनों (ह्यूमन रिसोर्स) की विशेषज्ञता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है और इसकी शिक्षा जगत और चिकित्सकों के बीच एक सेतु के रूप में काम करने की संभावना है. ग्रिड-इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक समीर चंद्र सक्सेना ने कहा कि ग्रिड-इंडिया इस सहयोग के लिए तैयार है.

यह पहल बिजली क्षेत्र में विनियामक क्षमता को आगे बढ़ाने, अनुसंधान, नवाचार और अधिक लचीले और भविष्य के लिए तैयार बिजली क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सूचित नीति निर्माण और विनियामक अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

सीओई की कार्यक्षमता के पांच मुख्य कार्यक्षेत्र

1- वर्तमान ऊर्जा क्षेत्र में अंतराल और चुनौतियों की पहचान करके शैक्षणिक, तकनीकी और नीतिगत अनुसंधान करना भारत में संक्रमण काल ​​की अवधि, जिसमें विनियमन, बाजार और ग्रिड परिचालन शामिल हैं.

2- ग्रिड प्रथाओं और संबंधित विनियमों के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए प्रणाली अध्ययन करना.

3- विशेषज्ञ कार्यबल का एक पूल बनाने के लिए प्रशिक्षण, कौशल विकास और क्षमता विकास गतिविधियाँ और विनियामकों, सिस्टम ऑपरेटरों और अन्य हितधारकों की मौजूदा जनशक्ति. इसमें ये भी शामिल होगा मात्रात्मक तकनीकों, टैरिफ मॉडल, मॉडलिंग और पूर्वानुमान तकनीकों, बिजली में अल्पकालिक प्रशिक्षण बाजार, आदि.

4- वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य की नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक ज्ञान केंद्र और सूचना आधार का निर्माण, परिचालनात्मक एवं रणनीतिक चुनौतियां.

5- आईआईटी दिल्ली में शैक्षणिक कार्यक्रमों की पेशकश के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करना.