सीताराम ठाकुर, भोपाल 

सरकार ने दी 46 फ्लाईओवर और आरओबी बनवाने की जिम्मेदारी, भोपाल के डॉ. अंबेडकर ब्रिज के निर्माण में हुए घोटाले की जांच लंबित

मप्र सरकार एक तरफ जहां भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टारलेंस की बात करती है, वहीं भ्रष्टाचार में फंसे अफसरों को बडेÞ और करोड़ों के प्रोजेक्ट भी सौंपने में लगी है। ऐसा ही मामला पीडब्ल्यूडी सेतू में पदस्थ चीफ इंजीनियर जीपी वर्मा का सामने आया है। 83 करोड़ के घोटाले में वर्मा को आरोप पत्र देने के बाद भी सरकार ने इन्हें 2 हजार करोड़ से ज्यादा के 46 फ्लाईओवर और आरओबी के निर्माण की जिम्मेदारी सौंप दी है। तत्कालीन मुख्य अभियंता (भवन) इंदौर में पदस्थ रहे जीपी वर्मा पर आरोप है कि इन्होंने 83 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले जिला अदालत के निर्माण में कथित तौर पर अनियमितताएं कीं। इन्होंने न्यायालय भवन इंदौर के निर्माण में द्वितीय निविदा आमंत्रण के दौरान न्यूनतम निविदाकार मेसर्स एरकॉन इंफ्रा लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत टर्नओवर की विधिवत पुष्टि नहीं की और टेंडर खोलकर काम को मंजूरी दे दी। जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय से 8 मई 2024 को मिली शिकायत में मेसर्स एरकॉन इंफ्रा गुजरात के द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी होने का उल्लेख है। उक्त शिकायत की जांच मुख्य अभिंयता भवन इंदौर द्वारा किए जाने पर ठेकेदार की अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। इसके बाद एरकॉन इंफ्रा को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया, जिसके कारण जिला अदालत के भवन का निर्माण समय पर नहीं हो सका और सरकार को करोड़ों की चपत लगी। इसके चलते लोक निर्माण विभाग ने 27 सितंबर 2024 को चीफ इंजीनियर जीपी वर्मा को आरोप पत्र थमा दिया। 

पहले भी भ्रष्टाचार में रहे लिप्त 

इससे पहले जीपी वर्मा कार्यपालन यंत्री के रूप में दतिया में पदस्थ थे और वहां इनके द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों में अनियमितताओं के चलते इनके खिलाफ सरकार द्वारा विभागीय जांच की जा रही है। भ्रष्टाचार के मामले में आरोप पत्र सौंपने के बाद भी सरकार ने इन्हें इंदौर से हटाकर भोपाल में सेतू निर्माण की जिम्मेदारी सौप दी। इधर, भोपाल के ही डॉ. अंबेडकर ब्रिज जो कि गणेश मंदिर से डीबी मॉल के सामने से होते हुए मंत्रालय की सड़क को जोड़ता है, उसमें भी अनियमितताओं के चलते विभाग ने इन्हें शोकॉज नोटिस जारी किया था। हाल ही में इस मामले की शिकायत एसीएस पीडब्ल्यूडी नीरज मंडलोई से की गई है। शिकायत में 156 करोड़ की लागत के जीजी फ्लाईओवर ब्रिज के घटिया निर्माण कार्य में ठेकेदार और चीफ इंजीनियर की मिलीभगत बताई जा रही है। 

फिर भी सरकार ने सौंपे करोड़ों के प्रोजेक्ट 

सेतू निर्माण के चीफ इंजीनियर जीपी वर्मा भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे होने के बाद भी सरकार इन पर मेहरबान नजर आ रही है। जिला अदालत इंदौर के भवन निर्माण में हुई अनियमितताओं को लेकर इनके विरुद्ध जारी आरोप पत्र का वर्मा ने समय पर जवाब नहीं और जीजी ब्रिज, जिसे अब डॉ. अंबेडकर फ्लाईओवर के नाम से जाना जाता है, में हुई गड़बड़ियों में शामिल कार्यपालन यंत्री को बचाने का काम किया जा रहा है। ऊपर से सरकार ने 2 हजार करोड़ से अधिक की लागत के 46 फ्लाईओवर और आरओबी के निर्माण की जिम्मेदारी भी इन्हें सौंप दी है, जिसमें तीन आरओबी और फ्लाईओवर भोपाल में निर्मित कराए जाने हैं। इस संबंध में जीपी वर्मा से बात करनी चाही, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। 

इस साल ये प्रमुख प्रोजेक्ट सेतू को सौंपे 

-शिप्रा नदी पर नवीन फोरलेन-लागत 23.48 करोड़। 
-नरसिंह घाट पर सामांतर पुल का निर्माण-10.53 करोड़। 
-शंकराचार्य चौराहा, शिप्रा नदी पर पुल निर्माण-43.82 करोड़। 
-रेलवे पुल के सामांतर लालपुल 4 लेन का निर्माण-17.32 करोड़। 
-उज्जैन-मक्सी मार्ग टू-लेन आरओबी का निर्माण-52.03 करोड़। 
-उज्जैन-लालपुर,आरओबी पंचक्रोशी का निर्माण - 46.52 करोड़। 
-हरिफाटक पार्किंग से महाकाल लोक जाने अंडरपास- 49.50 करोड़। 
-दुर्गादास की छत्री से गोन्सा चौराहा 4 लेन पुल सहित - 67.27 करोड़। 
-शाजापुर बायपास सहित दो उच्च स्तरीय पुलों का निर्माण- 152 करोड़। 
-वेदा नदी पर रपटा के स्थान पर ब्रिज निर्माण लागत- 20.06 करोड़। 
 -चकनार नदी पर गाडासरई मार्ग के लिए पुल का निर्माण-12.50 करोड़। 
-पीडब्ल्यूडी मार्ग पर क्वारी नदी पर पुल का निर्माण लागत-24.00 करोड़। 
-सिंध नदी पर मिहाबरा व दोनी के बीच पुल निर्माण लागत-49.23 करोड़। 
 -थांदला में ग्राम केसरपुरा में माही नदी पर पुल का निर्माण-15.22 करोड़। 
-ग्राम खडेÞदरा से सूड के बीच सिंध नदी पर पुल निर्माण-  17.78 करोड़। 
-अमरावती राजमार्ग रेलवे फाटक के पास ओवर ब्रिज-   80.00 करोड़। 
 -सीधी में संजय गांधी महाविद्यालय तक फ्लाईओवर  - 188.20करोड़। 
-निवाड़ी ­झांसी मानिकपुर रेलवे लाइन पर ओवर ब्रिज - 23.53 करोड़।