अधिकारी के दो जाति प्रमाण पत्र, एक फर्जी, फिर भी धड़ल्ले से नौकरी, ईओडब्ल्यू में जांच के बाद भी बनाया इंदौर का सिटी प्लानर

सीताराम ठाकुर,भोपाल । प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के नाम पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने वालों के खिलाफ सरकार सालों से कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। ऐसा ही एक मामला नीरज आनंद लिखार का सामने आया है। इनका जाति प्रमाण पत्र जनजाति वर्ग से (संदेहास्प्रद) फर्जी पाए जाने के बाद भी सरकार ने इन्हें इंदौर जैसे शहर का सिटी प्लानर के पद पर पदस्थ कर रखा है। इस मामले की शिकायत होने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। नगर एवं ग्राम निवेश विभाग में संयुक्त संचालक के पद पर नीरज आनंद लिखार पदस्थ हैं। वर्तमान में इनकी पोस्टिंग इंदौर के सिटी प्लानर के रूप में है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संदेहास्प्रद जाति प्रमाण पत्रों की जांच के लिए गठित अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग की छालबीन समिति ने 18 मार्च 2003 को पारित निर्णय में नीरज के भाई अजय लिखार को जारी किए गए अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र निरस्त करने के आदेश दिए थे। समिति के आदेश के विरुद्ध लिखार ने मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर की। न्यायालय ने डब्ल्यू पी 3311/2004 पर 17 फरवरी 2009 को आदेश दिया कि उच्च स्तरीय छानबीन समिति के समक्ष याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर प्रकरण में पुर्नविचार करने छह माह की समयावधि दी गई। हाईकोर्ट के आदेश पर छानबीन समिति द्वारा लिखार को अपने समर्थन में साक्ष्य, अभिलेख प्रस्तुत करने के लिए 9 सितंबर 2009 को बुलाया गया , जिसमें लिखार के बयान दर्ज किए गए।
छानबीन समिति ने नहीं माना सही प्रमाण पत्र
समिति द्वारा प्रकरण से संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन किया गया और अजय लिखार के पिता एबी लिखार 9 अगस्त 1950 से पूर्व महाराष्टÑ के मूल निवासी थे। राज्य पुनर्गठन वर्ष 1960 में अजय लिखार के पिता द्वारा जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया जो अमरावती महाराष्टÑ से था। अजय के पिता 1950 के बाद मप्र आए थे, जबकि लिखार द्वारा वर्ष 1983 में अवैध रूप से जातिप्रमाण पत्र प्राप्त किया गया। हाईकोर्ट के आदेश पश्चात भी अजय लिखार ऐसे कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके, जिन पर विचार की आवयश्कता हो, कहते हुए छानबीन समिति ने 18 सितंबर 2003 के आदेश को मान्य करते हुए अजय लिखार द्वारा 13 सितंबर 1982 को भोपाल जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण तथा 28 फरवरी 1993 को जारी किया गया हलबा जनजाति प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने की अनुशंसा की।
भाई का जाति प्रमाण पत्र फर्जी निकला
कंज्यूमर एंड ह्यूमन राइट प्रोटेक्शन समिति भोपाल ने अजय लिखार के जाति प्रमाण पत्र फर्जी होने के मामले की शिकायत छानबीन समिति से करते हुए जाति प्रमाण पत्र क्रमांक 144/1983 एवं 145/1983 एक ही स्थान और एक ही तारीख में जारी किए गया, जिन्हें छानबीन समिति ने निरस्त कर दिया, जबकि अजय लिखार कृषि यांत्रिकी विभाग में कार्यरत रहे हैं और उनके भाई नीरज आनंद लिखार नगर एवं ग्राम निवेश में संयुक्त संचालक होने के बाद भी इंदौर का इन्हें सिटी प्लान बनाया गया है। इनका जाति प्रमाण पत्र भी फर्जी होने की आशंका जताते हुए छानबीन समिति से शिकायत की है। सूत्र बताते है कि लिखार के खिलाफ ईओडब्ल्यू में भी मामला दर्ज है। उधर, शिकायतकर्ता सतीश नायक का कहना है कि सरकार इन्हें नौकरी से हटाने की अपेक्षा पाल रहीं है। उन्होंने इस मामले की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है।