भ्रष्टाचार: 3 आईएएस को क्लीनचिट, जन नेताओं को सजा 

तत्कालीन महापौर, नेता प्रतिपक्ष और पार्षद 3 साल तक नहीं लड़ पाएंगे चुनाव 

सीताराम ठाकुर, भोपाल। नगर पालिक निगम ग्वालियर की तत्कालीन महापौर रही समीक्षा गुप्ता द्वारा महापौर स्वेच्छानुदान निधि से बांटी गई आर्थिक सहायता राशि में अनियमितता और नियमों के उल्लंघन के मामले में दोषी पाई गई थीं। इस घोटाले में फंसे आईएएस सहित 3 जनप्रतिनिधियों को लेकर सरकार ने लोकायुक्त को अभियोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। साथ ही तत्कालीन कमिश्नर रहे 3 आईएएस अफसरों को क्लीनचिट दे दी और नेताओं के चुनाव लड़ने पर 3 साल के लिए रोक लगा दी है। लोकायुक्त संगठन ने अपराध क्रमांक 283/2017 में नगर निगम ग्वालियर के तत्कालीन कमिश्नर रहे आईएएस अधिकारी वेदप्रकाश शर्मा, एनबीएस राजपूत तथा विनोद शर्मा सहित ग्वालियर की महापौर रही समीक्षा गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष एवं महापौर रहे शम्मी शर्मा तथा पार्षद डॉ. अंजली रायजादा के विरुद्ध अभियोजन की अनुमति राज्य सरकार से मांगी थी। इन पर आरोप था कि तत्कालीन महापौर समीक्षा गुप्ता सहित अन्य ने महापौर स्वेच्छानुदान निधि से प्रदान की गई आर्थिक सहायता राशि में आर्थिक अनियमितता, भ्रष्टाचार और नियमों का उल्लंघन किया है। इस संबंध में संबंधितों से प्राप्त स्पष्टीकरण में यह सामने आया कि नगर निगम ग्वालियर परिषद द्वारा ठहराव क्रमांक-51 तारीख 15 जून 2010 द्वारा आर्थिक सहायता स्वीकृत करने के लिए तत्कालीन महापौर को अधिकृत किया गया था। मामले में सरकार ने तत्कालीन महापौर समीक्षा गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष शम्मी शर्मा और पार्षद डॉ. अंजली रायजादा के तीन साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। 

आर्थिक सहायता बांटने किया था समिति का गठन 

नगर निगम परिषद द्वारा पुन: ठहराव क्रमांक 328 में दिनांक 25 मार्च 2013 द्वारा आर्थिक सहायता के प्रकरणों में राशि का निर्धारण करने के लिए तीन सदस्यीय पार्षदों की समिति का गठन किया, जिसमें तत्कालीन महापौर समीक्षा गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष शम्मी शर्मा तथा पार्षद डॉ. अंजली रायजादा को सदस्य मनोनीत किया गया। इसमें स्पष्ट है कि महापौर स्वेच्छानुदान के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए परिषद द्वारा ही निर्णय लिया जाकर कार्यवाही की गई। परिषद के ठहराव के परिपेक्ष्य में ही संबंधित निगर निगम कमिश्नर रहे वेद प्रकाश शर्मा, एनबीएस राजपूत तथा विनोद शर्मा द्वारा लेखा एवं स्थानीय लेखा एवं संपरीक्षा की अनुशंसा उपरांत भुगतान आदि की कार्यवाही की। इनमें से आईएएस वेद प्रकाश तथा विनोद शर्मा रिटायर हो चुके हैं, जबकि एनबीएस राजपूत भारत सरकार में पदस्थ हैं। 

सबसे पहले वेद प्रकाश को मिली क्लीनिचिट 

सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक द्वारा जारी आदेश क्रमांक-बी-3/30/2026 में दिनांक 16 अप्रैल 2017 द्वारा तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर ग्वालियर वेद प्रकाश शर्मा की विभागीय जांच की कार्यवाही बिना कोई दंड दिए समाप्त कर दी गई, जबकि संभाग आयुक्त ग्वालियर द्वारा आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय को भेजी गई टीप 11 मई 2018 में कहा गया कि स्वेच्छा अनुदान के प्रकरणों में विवरण अनुसार महापौर की स्वीकृति उपरांत आरएडी से परीक्षण के बाद कमिश्नर को केवल भुगतान की कार्यवाही के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाते हैं। मेरी राय में आर्थिक सहायता के प्रकरण आयुक्त नगर निगम द्वारा स्वीकृत नहीं किए गए हैं। उक्त अनुसार, आर्थिक सहायता के प्रकरणों में आयुक्त नगर निगम द्वारा अनियमितता, नियमों के उल्लंघन की कार्यवाही को प्रमाणित नहीं माना गया है। इस प्रकार सभी कमिश्नरों द्वारा परिषद के ठहरावों के अनुसार दी गई स्वीकृतियों का क्रियान्वयन विधि के प्रावधान अनुसार कराया गया है, इसलिए यह दोषी नहीं हैं। 

नगरीय प्रशासन ने दी तीनों अफसरों क्लीनचिट 

नगरीय प्रशासन संचालनालय के संयुक्त संचालक मयंक वर्मा द्वारा 4 अप्रैल 2025 को शासन के लिए भेजे प्रस्ताव में लिखा कि उक्त प्रकरण में तीन तत्कालीन कमिश्नर के नाम से लोकायुक्त द्वारा शामिल किए गए हैं, जिसमें संपूर्ण विवेचना उपरांत विभाग द्वारा वैधानिक रूप से यह स्पष्ट पाया कि उन तीन में से वेदप्रकाश शर्मा की कोई त्रुटि नहीं थी। उन्हें विभागीय मत अनुसार जीएडी के आदेश से दोषमुक्त किया गया। विचाराधीन प्रकरण में कोई भी त्रुटि नहीं की गई है। इसलिए तत्कालीन कमिश्नर ग्वालियर नगर निगम वेदप्रकाश शर्मा, एनबीएस राजपूत तथा विनोद शर्मा के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति प्रदान किया जाना उचित नहीं है। इस आशय के दस्तावेज हमारे पास सुरक्षित हैं।